Those who walked together got separated one day. Only memories remained and tears. Here is a beautiful poem of Chandradev Singh – Rajiv Krishna Saxena गीली शाम तुम तो गये केवल शब्दों के नाम पलकों की अरगनी पर टांग गये शाम। एक गीली शाम। हिलते हवाओं में तिथियों के लेखापत्र …
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