दीवाली आने वाली है मानसून काफूर हो गया रावण का भी दहन हो गया ठंडी–ठंडी हवा चली है मतवाली अब गली–गली है पापा, मम्मी, भैय्या, भाभी बूआ, चाचा, दादा, दादी राह सभी तकते हैं मिल कर हर मन को भाने वाली है दीवाली आने वाली है चॉकलेट को छोड़ो भाई …
Read More »होली आयी रे – शकील बदायूंनी
On the Happy occasion of Holi, I present this old classic from film Mother India, written by Shakeel Badayuni. Happy Holi to all readers! Rajiv Krishna Saxena होली आयी रे होली आयी रे कन्हाई, होली आयी रे होली आयी रे कन्हाई रंग छलके सुना दे ज़रा बांसरी होली आयी रे, …
Read More »पतंगों का मौसम – शिव मृदुल
Raksha bandhan, Janmashtami and 15 August are the festivals when the sky in Northern India gets dotted by kites of wonderful colors. That madness engulfs every one. Strings tied to the eaten cob of corn (bhutta) act as lai-langar to force down kites. There is a mad rush to grab …
Read More »हम न रहेंगे – केदार नाथ अग्रवाल
The life goes on, even after we leave. In all its colors and glory, the life goes on. Rajiv Krishna Saxena हम न रहेंगे हम न रहेंगे तब भी तो यह खेत रहेंगे, इन खेतों पर घन लहराते शेष रहेंगे, जीवन देते प्यास बुझाते माटी को मदमस्त बनाते श्याम बदरिया …
Read More »आँख – सूर्यकुमार पांडेय
Eyes are our organ that not only introduce us to the world but can be used to convey myriad sentiments. Rajiv Krishna Saxena आँख कुछ की काली कुछ की भूरी कुछ की होती नीली आँख जिसके मन में दुख होता है उसकी होती गीली आँख। सबने अपनी आँख फेर ली …
Read More »धुंधली नदी में – धर्मवीर भारती
Some times we look at the world just as an observer. We see all the colors, beauty and joy, but just as an outside observer and not as a participant. There is an acute sense of loneliness, as if nothing belongs to us. Here is how Dharamvir Bharati Ji conveys …
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