Here is a short poem by the famous poet Suryakant Tripathi Nirala that I am sure you would enjoy – Rajiv Krishna Saxena बाँधो न नाव इस ठाँव, बन्धु बाँधो न नाव इस ठाँव, बन्धु! पूछेगा सारा गाँव, बन्धु! यह घाट वही जिस पर हँसकर, वह कभी नहाती थी धँसकर, …
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