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दीप मेरे जल अकम्पित (दीपशिखा) – महादेवी वर्मा

दीप मेरे जल अकम्पित (दीपशिखा) – महादेवी वर्मा

Here is another famous poem by Mahadevi Ji. I love the first lines “clouds are the breath of ocean and lightening the restless thoughts of darkness” – Rajiv Krishna Saxena दीप मेरे जल अकम्पित दीप मेरे जल अकम्पित, घुल अचंचल। सिन्धु का उच्छवास घन है, तड़ित, तम का विकल मन …

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