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देखो, टूट रहा है तारा – हरिवंश राय बच्चन

देखो, टूट रहा है तारा – हरिवंश राय बच्चन

In the night sky, a star falls and vanishes in horizon. In this short lovely poem Bachchan Ji likens it to the short and un-sung human life. Rajiv Krishna Saxena देखो, टूट रहा है तारा। नभ के सीमाहीन पटल पर एक चमकती रेखा चलकर लुप्त शून्य में होती-बुझता एक निशा …

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