How would a student of science express his love? Here is a lovely poem by Dharmendra Kumar Singh. Rajiv Krishna Saxena विज्ञान विद्यार्थी का प्रेम गीत अवकलन समाकलन फलन हो या चलनकलन हरेक ही समीकरण के हल में तू ही आ मिली। घुली थी अम्ल क्षार में विलायकों के जार …
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