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रात और शहनाई – रमानाथ अवस्थी

A lovely poem of despondency of love, inability to sleep and surviving the night – Rajiv Krishna Saxena रात और शहनाई सो न सका कल याद तुम्हारी आई सारी रात और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात। मेरे बहुत चाहने पर भी नींद न मुझ तक आई ज़हर भरी …

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