Tag Archives: Dreams

मेरे सपने बहुत नहीं हैं – गिरिजा कुमार माथुर

My simple dreams...

Here is a simple dream described by Girija Kumar Mathur; and everyone would like to own this dream as their own! If only it can be realized… Rajiv Krishna Saxena मेरे सपने बहुत नहीं हैं मेरे सपने बहुत नहीं हैं छोटी सी अपनी दुनिया हो, दो उजले–उजले से कमरे जगने …

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मौन निमंत्रण – सुमित्रानंदन पंत

Watching the stllness of the night sky full of stars!

Here is a lovely poem of Sumitra Nandan Pant. In the stillness of night, there is a quiet invitation from stars. Who could it be from? Rajiv Krishna Saxena मौन निमंत्रण स्तब्ध ज्योत्सना में जब संसार चकित रहता शिशु सा नादान, विश्व के पलकों पर सुकुमार विचरते हैं जब स्वप्न …

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फूल, मोमबत्तियां, सपने: धर्मवीर भारती

फूल, मोमबत्तियां, सपने – धर्मवीर भारती

फूल, मोमबत्तियां, सपने यह फूल, मोमबत्तियां और टूटे सपने ये पागल क्षण यह काम–काज दफ्तर फाइल, उचटा सा जी भत्ता वेतन, ये सब सच है! इनमें से रत्ती भर न किसी से कोई कम, अंधी गलियों में पथभृष्टों के गलत कदम या चंदा की छाय में भर भर आने वाली …

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लोग हर मोड़ पे – राहत इंदौरी

लोग हर मोड़ पे - राहत इंदौरी

Rahat Indori is a very well known shayar. Here are some of the verses penned by him. Rajiv Krishna Saxena लोग हर मोड़ पे लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यों हैं इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं मैं न जुगनू हूँ, दिया हूँ …

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अक्ल कहती है – बाल स्वरूप राही

अक्ल कहती है – बाल स्वरूप राही

Bal Swarup Rahi is one of my favorite poets. Here is a poem that is a realistic advisory for living a life. Rajiv Krishna Saxena अक्ल कहती है अक्ल कहती है, सयानों से बनाए रखना दिल ये कहता है, दीवानों से बनाए रखना लोग टिकने नहीं देते हैं कभी चोटी …

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कल्पना और जिंदगी – वीरेंद्र मिश्र

कल्पना और जिंदगी – वीरेंद्र मिश्र

As a man matures in thinking, his past simple beliefs slowly get shattered and the real bitter truth about life stares directly into his eyes. It is like the shattering of belief in Santa Clause in children. Sooner or later the real truth dawns. Here is a famous poem of …

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मैं और मेरा पिट्ठू – भारत भूषण अग्रवाल

मैं और मेरा पिट्ठू – भारत भूषण अग्रवाल

Perhaps we all live two lives. One that is real and the other that we wish we had lived. Our childhood ambitions may not have been realized but while going through the trials and tribulations of the real life, we often think how different the life could have been. Many …

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हो चुका खेल – राजकुमार

हो चुका खेल – राजकुमार

As the life draws to a close, a feeling of detachment must arise towards all that was done or achieved, as it is time to go. Here is a moving poem by Raj Kumar Ji about this feeling. Rajiv Krishna Saxena हो चुका खेल हो चुका खेल थक गए पांव …

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सपनों का अंत नहीं होता – शिव बहादुर सिंह भदौरिया

सपनों का अंत नहीं होता – शिव बहादुर सिंह भदौरिया

There are some basic facts of life that do not change. We may try to hide or overlook those facts and live in a dream world of our own, but the reality dawns sooner or later. Read this beautiful poem by Shiv Bahadur Singh Ji. Rajiv Krishna Saxena सपनों का …

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हवाएँ ना जाने – परमानन्द श्रीवास्तव

हवाएँ ना जाने – परमानन्द श्रीवास्तव

It is tempting to follow things that entice. But where would that lead us? Rajiv Krishna Saxena हवाएँ ना जाने हवाएँ ना जाने कहाँ ले जाएँ। यह हँसी का छोर उजला यह चमक नीली कहाँ ले जाए तुम्हारी आँख सपनीली चमकता आकाश–जल हो चाँद प्यारा हो फूल–जैसा तन, सुरभि सा …

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