This Kaliyug needs a new code of conduct and Kaka Hathrasi proposes one that may be adopted! Rajiv Krishna Saxena मात शारदे नतमस्तक हो, काका कवि करता यह प्रेयर अमंगल आचरण ऐसी भीषण चले चकल्लस, भागें श्रोता टूटें चेयर वाक् युद्ध के साथ–साथ हो, गुत्थमगुत्था हातापाई फूट जायें दो चार …
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