Tag Archives: Expectations

बोआई का गीत – धर्मवीर भारती

बोआई का गीत – धर्मवीर भारती

Here again is magic of Bharti Ji. Look at the choice of words and the overall image this poem conjures up. Rajiv Krishna Saxena बोआई का गीत गोरी-गोरी सौंधी धरती-कारे-कारे बीज बदरा पानी दे! क्यारी-क्यारी गूंज उठा संगीत बोने वालो! नई फसल में बोओगे क्या चीज ? बदरा पानी दे! …

Read More »

पुत्र वधू से – प्रतिभा सक्सेना

पुत्र वधू से – प्रतिभा सक्सेना

A new bride comes home. Mother of the groom welcomes her. Pratibha Ji has so beautifully captured her thoughts. Somehow, these rituals, thousands of years old as they may be, never fail to stir the heart and emotions even today. Rajiv Krishna Saxena पुत्र वधू से द्वार खड़ा हरसिंगार फूल …

Read More »

पुरुस्कार – शकुंतला कालरा

पुरुस्कार – शकुंतला कालरा

Here is a lovely poem for children, that conveys Geeta’s message of doing deeds without expectations of rewards. I have done the illustration myself. Rajiv Krishna Saxena पुरुस्कार गीतों का सम्मेलन होगा, तुम सबको यह बात बतानी, अकड़–अकड़ कर मेंढक बोले, तुम भी चलना कोयल रानी। मीकू बंदर, चीकू मेंढक …

Read More »

अनुभव परिपक्व – अज्ञेय

A little kid in a poverty stricken family… makes natural child-like impulsive demands. Then by experience, learns to scale them down. Rajiv Krishna Saxena अनुभव परिपक्व माँ हम नहीं मानते – अगली दीवाली पर मेले से हम वह गाने वाला टीन का लट्टू लेंगे ही लेंगे – नहीं, हम नहीं …

Read More »

कुछ न हम रहे – श्रीकृष्ण तिवारी

कुछ न हम रहे - श्रीकृष्ण तिवारी

We often have regrets about not achieving much in life. Ultimately it dawns on us that we were nothing special and just lived a life as everyone else does. Rajiv Krishna Saxena कुछ न हम रहे अपने घर देश में बदले परिवेश में आँधी में उड़े कभी लहर में बहे …

Read More »