The life goes on, even after we leave. In all its colors and glory, the life goes on. Rajiv Krishna Saxena हम न रहेंगे हम न रहेंगे तब भी तो यह खेत रहेंगे, इन खेतों पर घन लहराते शेष रहेंगे, जीवन देते प्यास बुझाते माटी को मदमस्त बनाते श्याम बदरिया …
Read More »दिवा स्वप्न – राम विलास शर्मा
Here is a window to your own childhood, opened by Ram Vilas Sharma Ji. As if you turn back and look back in time. Last stanza beautifully put it in words. Rajiv Krishna Saxena दिवा स्वप्न वर्षा से धुल कर निखर उठा नीला नीला फिर हरे हरे खेतों पर छाया …
Read More »बांसुरी दिन की – माहेश्वर तिवारी
Here is a nice poetic interpretation of a quiet day in forest and natural outdoors. Rajiv Krishna Saxena बांसुरी दिन की होंठ पर रख लो उठा कर बांसुरी दिन की देर तक बजते रहें ये नदी, जंगल, खेत कंपकपी पहने खड़े हों दूब, नरकुल, बेंत पहाड़ों की हथेली पर धूप …
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