World is full of delusions that turn ultimately into realization of the truth. In this sweet poem, Mahadevi Ji give several metaphors of this fact of life. Rajiv Krishna Saxena संसार निश्वासों सा नीड़ निशा का बन जाता जब शयनागार, लुट जाते अभिराम छिन्न मुक्तावलियों के वंदनवार तब बुझते तारों …
Read More »प्रभाती – रघुवीर सहाय
Life is short. Every thing is momentary, nothing lasts. Here is a nice poem by Raghubir Sahai – Rajiv Krishna Saxena प्रभाती आया प्रभात चंदा जग से कर चुका बात गिन गिन जिनको थी कटी किसी की दीर्घ रात अनगिन किरणों की भीड़ भाड़ से भूल गये पथ‚ और खो …
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