निर्वाण षटकम् मनोबुद्धय्हंकार चित्तानि नाहं श्रोत्रजिव्हे न च घ्राणनेत्रे न च व्योमभूमिर्न तेजो न वायुः चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम। 1 मैं न तो मन हूं‚ न बुद्धि‚ न अहांकार‚ न ही चित्त हूं मैं न तो कान हूं‚ न जीभ‚ न नासिका‚ न ही नेत्र हूं मैं न तो आकाश हूं‚ …
Read More »बारसीलोना की यात्रा – राजीव कृष्ण सक्सेना
I had an occasion to visit Barcelona for a scientific conference. Barcelona was the home of 1992 Olympics as well as the home of the popular European football team Barça. In this article, I outline my impressions of the city that has emerged as one of the most popular tourist …
Read More »तत्व चिंतन भाग 6: भारत कितना ज्ञानी कितना विज्ञानी – राजीव कृष्ण सक्सेना
There are two paths to ultimate Truth. One is the extrovert western path of pursuing physical and biological sciences that comprises intense analytical study of the nature around us. This path creates material comforts as byproducts but also generates internal and external turmoil in society and the environment. The other …
Read More »कालाधन – सर्जिकल स्ट्राइक – राजीव कृष्ण सक्सेना
कालाधन – सर्जिकल स्ट्राइक आठ नवंबर 2016 की रात एक ऐतिहासिक रात मानी जाएगी। प्र्रधान मंत्री मोदी जी ने घोषणा की कि मध्य रात्रि से 500 और 1000 रुपये के नोट रद्द कर दिये जाएँगे। सभी चौंक गए और चारो ओर खलबली सी मच गई। ऐसा करने की बात सभी …
Read More »तत्व चिंतनः भाग 5 – नई दुनियां, पुरानी दुनियां – राजीव कृष्ण सक्सेना
तत्व चिंतनः भाग 5 – नई दुनियां, पुरानी दुनियां बिल मेरे एक अमरीकी मित्र हैं। उन्होंनें कोई बंगाली फिल्म किसी अमरीकी टैलीविजन चैनल पर देखी।फिल्म उन्हें अच्छी लगी पर एक बात उन्हें समझ नहीं आई और वे यह समस्या ले कर मेरे पास आए। फिल्म के नायक और नाइका एक …
Read More »जीवन का ध्येय – राजीव कृष्ण सक्सेना
This article discusses the aim of living a life; its Eastern and Western perspectives. Rajiv Krishna Saxena जीवन का ध्येय जीवन जीने को एक यात्रा कहा गया है। जीवन जीना यानि कि जीवन पथ पर चलना। पर यात्रा का तो एक लक्ष्य होना चाहिये। हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है? …
Read More »तत्व चिंतन भाग 9 – फलसफा प्रेम का – राजीव कृष्ण सक्सेना
Love is a great enigma. Young people are washed away with the strength of feelings and emotions that seem to take over ones personality. It is like an acute fever that rises and falls in due course of time. From biological point of view, love and sex are amongst the …
Read More »सपन न लौटे – उदय भान मिश्र
Uday Bhan Mishra Ji here explores the termoil of heart while one aims at fulfilling te dreams. – Rajiv Krishna Saxena सपन न लौटे बहुत देर हो गई सुबह के गए अभी तक सपन न लौटे जाने क्या बात है दाल में कुछ काला है शायद उल्कापात कहीं होने वाला …
Read More »आप मिले तो – दिनेश प्रभात
We meet hundreds of people in our daily life, but then we meet a special one, how changes our outlook and the life suddenly looks beautiful! ∼ Rajiv Krishna Saxena आप मिले तो आप मिले तो लगा जिंदगी अपनी आज निहाल हुई मन जैसे कश्मीर हुआ है आँखें नैनीताल हुईं। …
Read More »तत्वचिंतनः भाग 7– भाग्यशाली हैं आस्थावान – राजीव कृष्ण सक्सेना
Faith in God is central to the thinking of common Indians. This faith has given our culture an ability to survive innumerable calamities that have befallen us over several millennia. The soothing idea that an almighty God is eventually in-charge of our world provides relevance to our lives. The things …
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