Encounter with beauty takes mind away from pain and anticipations start… Here is a poem by well known poet Gopi Krishan Gopesh. Rajiv Krishna Saxena रूप के बादल रूप के बादल यहाँ बरसे, कि यह मन हो गया गीला! चाँद–बदली में छिपा तो बहुत भाया ज्यों किसी को फिर किसी …
Read More »वर्षा के मेघ कटे – गोपी कृष्ण गोपेश
A very nice poem that describes the scene after the rain. Rajiv Krishna Saxena वर्षा के मेघ कटे वर्षा के मेघ कटे – रहे–रहे आसमान बहुत साफ़ हो गया है, वर्षा के मेघ कटे! पेड़ों की छाँव ज़रा और हरी हो गई है, बाग़ में बग़ीचों में और तरी हो …
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