Tag Archives: Hindi Poetry

तू बावन बरस की, मैं बासठ बरस का- जेमिनी हरियाणवी

Madhumas (youthful passion) lasts for a short time. Couples get aged and the whole scenario changes. Here is a funny interpretation by Jamini Hariyanvi. Rajiv KrishnaSaxena तू बावन बरस की, मैं बासठ बरस का तू बावन बरस की, मैं बासठ बरस का न कुछ तेरे बस का, न कुछ मेरे …

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सुप्रभात – प्रभाकर शुक्ल

Early morning has some magical moments when darkness give way to early diffused rays of light. The word starts to wake up slowly. Here is a poem describing the scene. Rajiv Krishna Saxena सुप्रभात नयन से नयन का नमन हो रहा है, लो उषा का आगमन हो रहा है। परत …

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पुनः स्मरण – दुष्यंत कुमार

पुनः स्मरण - दुष्यंत कुमार

Here is another great poem from Dushyant Kumar. Pathos in the poem is palpable. Rajiv Krishna Saxena पुनः स्मरण आह सी धूल उड़ रही है आज चाह–सा काफ़िला खड़ा है कहीं और सामान सारा बेतरतीब दर्द–सा बिन–बँधे पड़ा है कहीं कष्ट सा कुछ अटक गया होगा मन–सा राहें भटक गया …

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क्षुद्र की महिमा – श्यामनंदन किशोर

क्षुद्र की महिमा - श्यामनंदन किशोर

Elements in absolutely pure form do not have the utility that comes after a bit of impurity is mixed with them. Thus pure gold cannot be used for making a necklace, but some base metal has to be mixed in it in order to make it usable for jewelry. Similarly, …

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राही के शेर – बालस्वरूप राही

राही के शेर - बालस्वरूप राही

Baal Swaroop Rahi is a very well-known poet of Hindi and Urdu. Here are some selected verses. Rajiv Krishna Saxena राही के शेर किस महूरत में दिन निकलता है, शाम तक सिर्फ हाथ मलता है। दोस्तों ने जिसे डुबोया हो, वो जरा देर में संभलता है। हमने बौनों की जेब …

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कोयल – सुभद्रा कुमारी चौहान

कोयल - सुभद्रा कुमारी चौहान

Here is an old classic poem that many of us have read in childhood. Poetess is the Late and Great Subhadra Kumari Chauhan. Many of her other very famous poems like Khoob Ladi Mardani Vo to Jhansi Vaali Rani Thi, are available on Geeta-Kavita.com. Rajiv Krishna Saxena कोयल देखो कोयल …

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बाकी रहा – राजगोपाल सिंह

बाकी रहा - राजगोपाल सिंह

A Hindustani Gazal is presented, written by Shri Rajgopal Singh. It presents some bitter-sweet realities of life. Rajiv Krishna Saxena बाकी रहा कुछ न कुछ तो उसके – मेरे दरमियाँ बाकी रहा चोट तो भर ही गई लेकिन निशाँ बाकी रहा गाँव भर की धूप तो हँस कर उठा लेता …

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क्या तुम न आओगे – टी एन राज

Here is a unique narrative of missing love in old age! Rajiv Krishna Saxena क्या तुम न आओगे लो मेरी उम्र भी सठिया गई, क्या तुम न आओगे मेरे बालों में चांदी आ गई, क्या तुम न आओगे नज़र में मोतिया उतरा, हुआ हूं कान से बहरा तुम्हारी ही जवानी …

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नए साल की शुभकामनाएं – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

नए साल की शुभकामनाएं - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

Our best wishes to all readers for the New Year. May you have a successful, creative and peaceful year. Here is a nice poem by Sarveshwar Dayal Saxena that you can forward to your friends, while wishing them a Happy New Year – Rajiv Krishna Saxena नए साल की शुभकामनाएं …

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काका की अमरीका यात्रा – काका हाथरसी

काका की अमरीका यात्रा - काका हाथरसी

Here is an excerpt from a very funny poem of Kaka Hathrasi on his trip to America in 1982. Many of us would recall our own experiences of first time trip to America in those times. Rajiv Krishna Saxena काका की अमरीका यात्रा काका कवि पाताल को चले तरुण के …

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