A hasya kavita by Suresh Upadhyay that is also a commentary on the state of affairs in India – Rajiv Krishna Saxena दफ्तर का बाबू दफ्तर का एक बाबू मरा सीधा नरक में जा कर गिरा न तो उसे कोई दुख हुआ ना ही वो घबराया यों खुशी में झूम …
Read More »सिंधु में ज्वार – अटल बिहारी वाजपेयी
On the auspicious occasion of the birthday of our past Prime Minister Atal Ji, I am posting excerpt from an inspiring poem written by him. सिंधु में ज्वार आज सिंधु में ज्वार उठा है नगपति फिर ललकार उठा है कुरुक्षेत्र के कण–कण से फिर पांचजन्य हुँकार उठा है। शत–शत आघातों …
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