Here is a poem written in Hariyanvi dialect of Hindi, just for laughter, by the well known hasya-kavi Jamini Hariyanvi. The poem plays on the similar sounding words “stree” and “istri” that mean a woman and a clothe pressing iron respectively– Rajiv Krishna Saxena स्त्री बनाम इस्तरी एक दिन एक …
Read More »क्या कहा? – जेमिनी हरियाणवी
Public always pays for the indulgences of its leaders. Jamini Hariyanavi has given voice to the helpless public. Rajiv Krishna Saxena क्या कहा? आप हैं आफत‚ बलाएं क्या कहा? आपको हम घर बुलाएं‚ क्या कहा? खा रही हैं देश को कुछ कुर्सियां‚ हम सदा धोखा ही खाएं‚ क्या कहा? ऐसे …
Read More »चल मियाँ – जेमिनी हरियाणवी
Here is another funny poem by Jamini Hariyanavi Ji. Rajiv Krishna Saxena चल मियाँ आज कल पड़ती नहीं है कल मियाँ छोड़ कर दुनियां कहीं अब चल मियाँ रात बिजली ने परेशां कर दिया सुबह धोखा दे गया है नल मियाँ लग रही है आग देखे जाइये पास तेरे जल …
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