Mere thoughts of love makes a difficult path feel so nice. Here is a lovely poem by Balswarup Rahi – Rajiv Krishna Saxena कहीं तुम पंथ पर पलकें बिछाए तो नहीं बैठीं कंटीले शूल भी दुलरा रहे हैं पांव को मेरे‚ कहीं तुम पंथ पर पलकें बिछाए तो नहीं बैठीं! …
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