Mere thoughts of love makes a difficult path feel so nice. Here is a lovely poem by Balswarup Rahi – Rajiv Krishna Saxena कहीं तुम पंथ पर पलकें बिछाए तो नहीं बैठीं कंटीले शूल भी दुलरा रहे हैं पांव को मेरे‚ कहीं तुम पंथ पर पलकें बिछाए तो नहीं बैठीं! …
Read More »अभी तो झूम रही है रात – गिरिजा कुमार माथुर
Kajal in eyes and a little shyness… Here is a lovely poem by the well known poet Girija Kumar Mathur. Rajiv Krishna Saxena अभी तो झूम रही है रात बडा काजल आँजा है आज भरी आखों में हलकी लाज। तुम्हारे ही महलों में प्रान जला क्या दीपक सारी रात निशा …
Read More »