दीवाली आने वाली है मानसून काफूर हो गया रावण का भी दहन हो गया ठंडी–ठंडी हवा चली है मतवाली अब गली–गली है पापा, मम्मी, भैय्या, भाभी बूआ, चाचा, दादा, दादी राह सभी तकते हैं मिल कर हर मन को भाने वाली है दीवाली आने वाली है चॉकलेट को छोड़ो भाई …
Read More »पुराने पत्र – रामकुमार चतुर्वेदी ‘चंचल’
These days no one write letters. In past-years, people wrote letters and the receivers preserved those letters, at times for life. Those old preserved letters were magic and the following lovely poem tells us why. Rajiv Krishna Saxena पुराने पत्र हर पुराना पत्र सौ–सौ यादगारों का पिटारा खोलता है। मीत …
Read More »कभी नहीं, कभी नहीं- ओम व्यास ओम
There are things that we should never ever do. Here is a formidable list in the typical style of Pandit Om Vyas. Rajiv Krishna Saxena कभी नहीं, कभी नहीं साले की बुराई शक्की को दवाई उधार–प्रेमी को अपने दोस्त से मिलाना पत्नी को अपनी असली इनकम बतलाना नवजात कुत्ते के …
Read More »छोटे शहर की यादें – शार्दुला नोगजा
Here is a nice poem dipped in the nostalgia of growing up in a small town. Rajiv Krishna Saxena छोटे शहर की यादें मुझे फिर बुलातीं हैं मुस्काती रातें, वो छोटे शहर की बड़ी प्यारी बातें। चंदा की फाँकों का हौले से बढ़ना, जामुन की टहनी पे सूरज का चढ़ना। …
Read More »मज़ा ही कुछ और है – ओम व्यास ओम
There are so many small pleasures of life. They don’t cost any thing, yet the pleasure they give…. is out of this world…in words of Om Vyas Om. Rajiv Krishna Saxena मज़ा ही कुछ और है दांतों से नाखून काटने का छोटों को जबरदस्ती डांटने का पैसे वालों को गाली …
Read More »यह दिल खोल तुम्हारा हँसना – गोपाल सिंह नेपाली
Here is a lovely poem for a lover by the well-known poet Gopal Singh Nepali. Rajiv Krishna Saxena यह दिल खोल तुम्हारा हँसना प्रिये तुम्हारी इन आँखों में मेरा जीवन बोल रहा है बोले मधुप फूल की बोली, बोले चाँद समझ लें तारे गा–गाकर मधुगीत प्रीति के, सिंधु किसी के …
Read More »हंसमुख रहना बड़ी बात है – राजा चौरसिया
To have a pleasant disposition in all situations we face, is the greatest personal trait one can have, says this poem. The poem is full of sane advice that all should try to follow, especially children in their formative stage. Rajiv Krishna Saxena हंसमुख रहना बड़ी बात है हंसमुख रहना …
Read More »अगर कहीं मैं घोड़ा होता – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
If I were a horse, the poet says to children, what all I could do for you! This poem for tiny tots would certainly take them through the hills and valleys of imagination. Rajiv Krishna Saxena. अगर कहीं मैं घोड़ा होता अगर कहीं मैं घोड़ा होता वह भी लंबा चौड़ा …
Read More »साल आया है नया – हुल्लड़ मुरादाबादी
First day of the New Year! Here are some suggested resolutions from Hullad Muradabadi. Rajiv Krishna Saxena साल आया है नया यार तू दाढ़ी बढ़ा ले, साल आया है नया नाई के पैसे बचा ले, साल आया है नया। तेल कंघा पाउडर के खर्च कम हो जाएँगे आज ही सर …
Read More »पास हुए हम – रामवचन सिंह
Here is a poem for children reflecting the feeling of joy after passing examination. Rajiv Krishna Saxena पास हुए हम पास हुए हम, हुर्रे हुर्रे! दूर हुए गम, हुर्रे हुर्रे! रोज नियम से किया परीश्रम और खपाया भेजा, धीरे–धीरे, थोड़ा–थोड़ा हर दिन ज्ञान सहेजा, रुके नहीं हम, हुर्रे हुर्रे! हम …
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