Tag Archives: Laughter

तब रोक न पाया मैं आँसू – हरिवंश राय बच्चन

तब रोक न पाया मैं आँसू - हरिवंश राय बच्चन

When life-long delusions end and we suddenly discover the truth, a heart-break invariably follows. So beautifully expressed in this poem of Harivansh Rai Bachchan! Rajiv Krishna Saxena तब रोक न पाया मैं आँसू जिसके पीछे पागल हो कर मैं दौड़ा अपने जीवन भर, जब मृगजल में परिवर्तित हो, मुझ पर …

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पीने का बहाना – हुल्लड़ मुरादाबादी

पीने का बहाना - हुल्लड़ मुरादाबादी

Here is another funny poem of Hullad Muradabadi. Enjoy! Rajiv Krishna Saxena पीने का बहाना हौसले को आज़माना चाहिये मुशकिलों में मुसकुराना चाहिये खुजलियाँ जब सात दिन तक ना रुकें आदमी को तब नहाना चाहिये साँप नेता साथ में मिल जाएँ तो लट्ठ नेता पर चलाना चाहिये सिर्फ चारे से …

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हुल्लड़ और शादी – हुल्लड़ मुरादाबादी

हुल्लड़ और शादी – हुल्लड़ मुरादाबादी

[learn_more caption=”Introduction: See more”]Here are answers to some burning questions about marriage by Hullad Muradabadi, in the style of Kaka Hathrasi. Rajiv Krishna Saxena[/learn_more] हुल्लड़ और शादी दूल्हा जब घोड़ी चढ़ा, बोले रामदयाल हुल्लड़ जी बतलइए, मेरा एक सवाल मेरा एक सवाल, गधे पर नहीं बिठाते दूल्हे राजा क्यों घोड़ी …

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कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ – काका हाथरसी

कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ – काका हाथरसी

Here is an excerpt from a very funny and at a time very popular poem of Kaka Hathrasi. See Kakas advice on how to raise the standard of your life!- Rajiv Krishna Saxena कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ प्रकृति बदलती क्षण-क्षण देखो, बदल रहे अणु, कण-कण देखो। तुम निष्क्रिय से पड़े …

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है मन का तीर्थ बहुत गहरा – वीरबाला

है मन का तीर्थ बहुत गहरा – वीरबाला भावसार

Deep beneath all that smiling, singing and laughing, that the world sees, lies the true essence of our feelings. One who makes sincere attempts to reach there becomes some one special. A lovely poem by Dr. Veerbala – Rajiv Krishna Saxena है मन का तीर्थ बहुत गहरा है मन का …

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नाम बड़े दर्शन छोटे – काका हाथरसी

नाम बड़े दर्शन छोटे – काका हाथरसी

Here is an excerpt from a very popular poem by Kaka Hathrasi. We often see people having names that simply do not go along with their personalities. Kaka is pointing out this fact in the funniest way. Rajiv Krishna Saxena नाम बड़े दर्शन छोटे नाम-रूप के भेद पर कभी किया …

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जिंदगानी मना ही लेती है – बालस्वरूप राही

जिंदगानी मना ही लेती है – बालस्वरूप राही

In life we often face defeat, dejection and frustration. Redeeming feature however is that we rebound, and the life goes on. Here is a lovely poem of Bal Swaroop Rahi, depicting this fact. Rajiv Krishna Saxena जिंदगानी मना ही लेती है हर किसी आँख में खुमार नहीं हर किसी रूप …

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हुल्लड़ के दोहे – हुल्लड़ मुरादाबादी

हुल्लड़ के दोहे – हुल्लड़ मुरादाबादी

We have read dohas by Kabir and Rahim. They are full of wisdom and insight. Here are some selected gems written by Hullad Muradabadai. Have fun! Rajiv Krishna Saxena हुल्लड़ के दोहे कर्ज़ा देता मित्र को, वह मूर्ख कहलाए, महामूर्ख वह यार है, जो पैसे लौटाए। बिना जुर्म के पिटेगा, …

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सूना घर – दुष्यंत कुमार

An empty house… pleasant memories of the now-gone home-maker. Memories of laughter and the jingling of bangles… how does one come to terms with this kind of emptiness? Rajiv Krishna Saxena सूना घर सूने घर में किस तरह सहेजूँ मन को। पहले तो लगा कि अब आईं तुम, आकर अब …

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काका के उपदेश – काका हाथरसी

काका के उपदेश – काका हाथरसी

Here is another very funny poem by Kaka Hathrasi on modern spirituality! Enjoy. Rajiv Krishna Saxena काका के उपदेश आइये प्रिय भक्तगण उपदेश कुछ सुन लीजिये पढ़ चुके हैं बहुत पोथी आज कुछा गुन लीजिये हाथ में हो गोमुखी माला सदा हिलती रहे नम्र ऊपर से बनें भीतर छुरी चलती …

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