Here is the utterings of a lovelorn man praising to sky the beauty of his love. Rajiv Krishna Saxena मेहंदी लगाया करो दूिधया हाथ में, चाँदनी रात में, बैठ कर यूँ न मेंहदी रचाया करो। और सुखाने के करके बहाने से तुम इस तरह चाँद को मत जलाया करो। जब …
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