Here is a lovely poem for a lover by the well-known poet Gopal Singh Nepali. Rajiv Krishna Saxena यह दिल खोल तुम्हारा हँसना प्रिये तुम्हारी इन आँखों में मेरा जीवन बोल रहा है बोले मधुप फूल की बोली, बोले चाँद समझ लें तारे गा–गाकर मधुगीत प्रीति के, सिंधु किसी के …
Read More »कर्ण का कृष्ण को उत्तर (रश्मिरथी, अध्याय 3) – रामधारी सिंह दिनकर
Rashmirathi is quite a phenomenon in the world of Hindi poetry. Here is another excerpt from third chapter. Lord Krishna had failed to convince Duryodhana to avoid the war. Duryodhana had refused to give any thing back to Pandavas and Krishna had left after declaring that a war in now …
Read More »मधु की रात – चिरंजीत
Living a life is tough but there are some nights of pure love and bliss. Here is how Chiranjit describes such a night. Rajiv Krishna Saxena मधु की रात अलक सन्धया ने सँवारी है अभी म्यान में चन्दा कटारी है अभी चम्पई रंग पे न आ पाया निखार रात यह …
Read More »हम सब सुमन एक उपवन के – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
Here is a lovely poem most of us may have read in school days. Unity in diversity is emphasized here. Rajiv Krishna Saxena हम सब सुमन एक उपवन के हम सब सुमन एक उपवन के एक हमारी धरती सबकी, जिसकी मिट्टी में जन्मे हम। मिली एक ही धूप हमें है, सींचे गए …
Read More »नाम उसका राम होगा – श्याम नारायण पाण्डेय
A classic devotional poem excerpted from the mangalacharan written by the great poet Shyam Narayan Pandey for his book “Jauhar”. Rajiv Krishna Saxena नाम उसका राम होगा गगन के उस पार क्या पाताल के इस पार क्या है? क्या क्षितिज के पार, जग जिस पर थमा आधार क्या है? दीप …
Read More »चांद पर मानव – काका हाथरसी
This poem was written by Kaka Hathrasi, when man had for the first time reached on moon. Big deal! Many thought. Rajiv Krishna Saxena चांद पर मानव ठाकुर ठर्रा सिंह से बोले आलमगीर पहुँच गये वो चाँद पर, मार लिया क्या तीर मार लिया क्या तीर, लौट पृथ्वी पर आये …
Read More »वर्षा के मेघ कटे – गोपी कृष्ण गोपेश
A very nice poem that describes the scene after the rain. Rajiv Krishna Saxena वर्षा के मेघ कटे वर्षा के मेघ कटे – रहे–रहे आसमान बहुत साफ़ हो गया है, वर्षा के मेघ कटे! पेड़ों की छाँव ज़रा और हरी हो गई है, बाग़ में बग़ीचों में और तरी हो …
Read More »काम हमारे बड़े–बड़े – चिरंजीत
Here is a famous old poem by Charinjit. Little children can also do big deeds. An inspirational poem indeed for children. Rajiv Krishna Saxena हम बच्चे हैं छोटे–छोटे, काम हमारे बड़े–बड़े। आसमान का चाँद हमी ने थाली बीच उतारा है, आसमान का सतरंगा वह बाँका धनुष हमारा है। आसमान के …
Read More »हाथ बटाओ – निदा फाजली
So many things are there in this word that an Omani-potant God can do to help. Why does He not? Here is a thoughtful poem from Nida Fazli. Rajiv Krishna Saxena हाथ बटाओ नील गगन पर बैठे कब तक चांद सितारों से झांकोगे पर्वत की ऊंची चोटी से कब तक …
Read More »रात और शहनाई – रमानाथ अवस्थी
A lovely poem of despondency of love, inability to sleep and surviving the night – Rajiv Krishna Saxena रात और शहनाई सो न सका कल याद तुम्हारी आई सारी रात और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात। मेरे बहुत चाहने पर भी नींद न मुझ तक आई ज़हर भरी …
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