A hasya kavita by Suresh Upadhyay that is also a commentary on the state of affairs in India – Rajiv Krishna Saxena दफ्तर का बाबू दफ्तर का एक बाबू मरा सीधा नरक में जा कर गिरा न तो उसे कोई दुख हुआ ना ही वो घबराया यों खुशी में झूम …
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