Here is an old poem of Shamsher Bahadur Singh, in praise of ancient motherland India. Rajiv Krishna Saxena भारत गुण–गौरव मैं भारत गुण–गौरव गाता, श्रद्धा से उसके कण–कण को, उन्नत माथ नवाता। प्र्रथम स्वप्न–सा आदि पुरातन, नव आशाओं से नवीनतम, चिर अजेय बलदाता। आर्य शौर्य धृति, बौद्ध शांति द्युति, …
Read More »हम सब सुमन एक उपवन के – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
Here is a lovely poem most of us may have read in school days. Unity in diversity is emphasized here. Rajiv Krishna Saxena हम सब सुमन एक उपवन के हम सब सुमन एक उपवन के एक हमारी धरती सबकी, जिसकी मिट्टी में जन्मे हम। मिली एक ही धूप हमें है, सींचे गए …
Read More »कुँआरी मुट्ठी – कन्हैया लाल सेठिया
War has an important role in Nation building. A nation that has not experienced war becomes weaker. War ensures peace. This is the perspective on war provided by the well-known poet Kanhaiyalal Sethia. Rajiv Krishna Saxena कुँआरी मुट्ठी युद्ध नहीं है नाश मात्र ही युद्ध स्वयं निर्माता है. लड़ा न …
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