Here is another funny poem of Hullad Muradabadi. Enjoy! Rajiv Krishna Saxena पीने का बहाना हौसले को आज़माना चाहिये मुशकिलों में मुसकुराना चाहिये खुजलियाँ जब सात दिन तक ना रुकें आदमी को तब नहाना चाहिये साँप नेता साथ में मिल जाएँ तो लट्ठ नेता पर चलाना चाहिये सिर्फ चारे से …
Read More »हुल्लड़ के दोहे – हुल्लड़ मुरादाबादी
We have read dohas by Kabir and Rahim. They are full of wisdom and insight. Here are some selected gems written by Hullad Muradabadai. Have fun! Rajiv Krishna Saxena हुल्लड़ के दोहे कर्ज़ा देता मित्र को, वह मूर्ख कहलाए, महामूर्ख वह यार है, जो पैसे लौटाए। बिना जुर्म के पिटेगा, …
Read More »चल उठ नेता – अशोक अंजुम
In today’s political environment we see huge corruption all around. Retaining power by all means is the norm. Here is a poetic articulation of the situation by Ashok Anjum. Rajiv Krishna Saxena चल उठ नेता चल उठ नेता तू छेड़ तान! क्या राष्ट्रधर्म? क्या संविधान? तू नये नये हथकंडे ला! …
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