We always think that the next day or night would bring something new and break the hum-drum of life. But nothing new happens… Rajiv Krishna Saxena लो दिन बीता सूरज ढलकर पश्चिम पहुँचा डूबा, संध्या आई, छाई सौ संध्या सी वह संध्या थी क्यों उठते–उठते सोचा था दिन में होगी …
Read More »नई सहर आएगी – निदा फाज़ली
Here are some more thought provoking verses from Nida Fazli. Rajiv Krishna Saxena नई सहर आएगी रात के बाद नए दिन की सहर आएगी दिन नहीं बदलेगा तारीख़ बदल जाएगी हँसते–हँसते कभी थक जाओ तो छुप कर रो लो यह हँसी भीग के कुछ और चमक जाएगी जगमगाती हुई सड़कों …
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