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हर घट से – गोपाल दास नीरज

हर घट से – गोपाल दास नीरज

This is a famous poem of Niraj. One has to be selective in life, put in sustained efforts and be patient in order to succeed. Rajiv Krishna Saxena हर घट से हर घट से अपनी प्यास बुझा मत ओ प्यासे! प्याला बदले तो मधु ही विष बन जाता है! हैं …

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