निर्वाण षटकम् मनोबुद्धय्हंकार चित्तानि नाहं श्रोत्रजिव्हे न च घ्राणनेत्रे न च व्योमभूमिर्न तेजो न वायुः चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम। 1 मैं न तो मन हूं‚ न बुद्धि‚ न अहांकार‚ न ही चित्त हूं मैं न तो कान हूं‚ न जीभ‚ न नासिका‚ न ही नेत्र हूं मैं न तो आकाश हूं‚ …
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