In today’s milieu, this poem defines the political situation that seems to prevail in the country. Rajiv Krishna Saxena लोकतंत्र योजना उजाले की फेल हो गई। मौसम की साज़िश का हो गया शिकार, लगता है सूरज को जेल हो गई। संसद से आंगन तक, रोज़ बजट घाटे का आसमान छूता …
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