A relationship is based upon total trust. Breaking that trust destroys the relationship. Here is a pleading to the love for not breaking the trust. – Rajiv Krishna Saxena सूर्य–सा मत छोड़ जाना मैं तुम्हारी बाट जोहूँ तुम दिशा मत मोड़ जाना तुम अगर ना साथ दोगे पूर्ण कैसे छंद …
Read More »वेदना – बेढब बनारसी
Here is an old poem of well-known hasya-kavi of yester-years Bedhab Banarasi. Utter disasters faced by a suitor while pursuing his beloved. Rajiv Krishna Saxena आह वेदना, मिली विदाई निज शरीर की ठठरी लेकर उपहारों की गठरी लेकर जब पहुँचा मैं द्वार तुम्हारे सपनों की सुषमा उर धारे मिले तुम्हारे …
Read More »याचना – रघुवीर सहाय
Love defies all boundaries of rationalities and logic. Rollercoaster of emotions take the lovers to uncharted highest and lows… Here is a nice poem of Raghuvir Sahai – Rajiv Krishna Saxena याचना युक्ति के सारे नियंत्रण तोड़ डाले‚ मुक्ति के कारण नियम सब छोड़ डाले‚ अब तुम्हारे बंधनों की कामना …
Read More »दो दिन ठहर जाओ – रामकुमार चतुर्वेदी ‘चंचल’
Here is another pleading for the love to stay for some more time. Rajiv Krishna Saxena दो दिन ठहर जाओ अभी ही तो लदी ही आम की डाली, अभी ही तो बही है गंध मतवाली; अभी ही तो उठी है तान पंचम की, लगी अलि के अधर से फूल की …
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