A famous poem of Shri Harivansh Rai Bachchan. A row of birds fly during a storm (jhanjhawaat). Rajiv Krishna Saxena प्रबल झंझावात साथी देह पर अधिकार हारे, विवशता से पर पसारे, करुण रव-रत पक्षियों की आ रही है पाँत, साथी! प्रबल झंझावात, साथी! शब्द ‘हरहर’, शब्द ‘मरमर’– तरु गिरे जड़ …
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