A Hindustani Gazal is presented, written by Shri Rajgopal Singh. It presents some bitter-sweet realities of life. Rajiv Krishna Saxena बाकी रहा कुछ न कुछ तो उसके – मेरे दरमियाँ बाकी रहा चोट तो भर ही गई लेकिन निशाँ बाकी रहा गाँव भर की धूप तो हँस कर उठा लेता …
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