When would it rain? The eternal question is posed in this excerpt from a poem written by Bekal Utsahi. Rajiv Krishna Saxena कब बरसेगा पानी सावन भादों साधू हो गये बादल सब सन्यासी पछुआ चूस गयी पुरबा को धरती रह गयी प्यासी फ़सलों ने बैराग ले लिया जोगिया हो गई …
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