Tag Archives: Ramdarash Mishra

यह भी दिन बीत गया – रामदरश मिश्र

This day too is over!

One more day has passed. Did it add some thing or took away some thing from the enigma that life is? How do we, or can we really evaluate any day? A lovely poem by Ramdarash Mishra Ji. – Rajiv Krishna Saxena यह भी दिन बीत गया यह भी दिन …

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सूर्य ढलता ही नहीं है – रामदरश मिश्र

सूर्य ढलता ही नहीं है

Pain and desperation is the mother of creativity in literature. Nothing worthwhile is written if there in no restlessness behind it. Here is a beautiful poem by Ram Darash Mishra – Rajiv Krishna Saxena सूर्य ढलता ही नहीं है चाहता हूं‚ कुछ लिखूँ‚ पर कुछ निकलता ही नहीं है दोस्त‚ …

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तुम्हारा साथ: रामदरश मिश्र

तुम्हारा साथ सुख के दुख के पथ पर जीवन छोड़ता हुआ पदचाप गया, तुम साथ रहीं, हँसते–हँसते इतना लम्बा पथ नाप गया। तुम उतरीं चुपके से मेरे यौवन वन में बन कर बहार, गुनगुना उठे भौंरे, गुंजित हो कोयल का आलाप गया। स्वप्निल स्वप्निल सा लगा गगन रंगों में भीगी–सी …

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आप आये पास तो अच्छा लगा – रामदरश मिश्र

Some things in life give us immense satisfaction. Here is an excerpt from a poem written by the well known poet Shri Ramdarash Mishra. Rajiv Krishna Saxena आप आये पास तो अच्छा लगा आज धरती पर झुका आकाश तो अच्छा लगा, सिर किये ऊँचा खड़ी है घास तो अच्छा लगा। …

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