On the auspicious occasion of the birthday of our past Prime Minister Atal Ji, I am posting excerpt from an inspiring poem written by him. सिंधु में ज्वार आज सिंधु में ज्वार उठा है नगपति फिर ललकार उठा है कुरुक्षेत्र के कण–कण से फिर पांचजन्य हुँकार उठा है। शत–शत आघातों …
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