Here is a poem that I received through a WhatsApp group. I do not know who wrote it but the poem is moving indeed. Rajiv Krishna Saxena बाप का कंधा मेरे कंधे पर बैठा मेरा बेटा जब मेरे कंधे पर खड़ा हो गया मुझसे कहने लगा देखो पापा मैं …
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