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भई भाषण दो – गोपाल प्रसाद व्यास

Just talking serves no purpose. This is made amply clear in this satirical poem by Gopal Prasad Vyas. Rajiv Krishna Saxena भई भाषण दो  यदि दर्द पेट में होता हो या नन्हा–मुन्ना रोता हो या आंखों की बीमारी हो अथवा चढ़ रही तिजारी हो तो नहीं डाक्टरों पर जाओ वैद्यों …

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धर्म है – गोपाल दास नीरज

धर्म है – गोपाल दास नीरज

Here is a lovely poem of Gopal Das Neeraj that tells us that challenges must be met head-on and are not to be avoided. Rajiv Krishna Saxena धर्म है जिन मुश्किलों में मुस्कुराना हो मना उन मुश्किलों में मुस्कुराना धर्म है। जिस वक्त जीना गैर मुमकिन सा लगे उस वक्त …

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