Here again is magic of Bharti Ji. Look at the choice of words and the overall image this poem conjures up. Rajiv Krishna Saxena बोआई का गीत गोरी-गोरी सौंधी धरती-कारे-कारे बीज बदरा पानी दे! क्यारी-क्यारी गूंज उठा संगीत बोने वालो! नई फसल में बोओगे क्या चीज ? बदरा पानी दे! …
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