Here is a nice poetic interpretation of a quiet day in forest and natural outdoors. Rajiv Krishna Saxena बांसुरी दिन की होंठ पर रख लो उठा कर बांसुरी दिन की देर तक बजते रहें ये नदी, जंगल, खेत कंपकपी पहने खड़े हों दूब, नरकुल, बेंत पहाड़ों की हथेली पर धूप …
Read More »विश्व सारा सो रहा है – हरिवंश राय बच्चन
In night when the whole world sleeps, some lay awake. Their heart full of grief, they are the ones whose tears keep company with the night. Rajiv Krishna Saxena विश्व सारा सो रहा है हैं विचरते स्वप्न सुंदर, किंतु इनका संग तजकर, व्योम–व्यापी शून्यता का कौन साथी हो रहा है? …
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