Love is the essence. As retreating water leaves the sand dry, so does lost love leave a person drained, and lifeless. Here is a beautiful expression by Nirala – Rajiv Krishna Saxena स्नेह निर्झर बह गया है स्नेह निर्झर बह गया है, रेत सा तन रह गया है। आग की …
Read More »बाँधो न नाव इस ठाँव, बन्धु – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
Here is a short poem by the famous poet Suryakant Tripathi Nirala that I am sure you would enjoy – Rajiv Krishna Saxena बाँधो न नाव इस ठाँव, बन्धु बाँधो न नाव इस ठाँव, बन्धु! पूछेगा सारा गाँव, बन्धु! यह घाट वही जिस पर हँसकर, वह कभी नहाती थी धँसकर, …
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