Tag Archives: toys

दीवाली आने वाली है – राजीव कृष्ण सक्सेना

दीवाली आने वाली है - राजीव कृष्ण सक्सेना

दीवाली आने वाली है मानसून काफूर हो गया रावण का भी दहन हो गया ठंडी–ठंडी हवा चली है मतवाली अब गली–गली है पापा, मम्मी, भैय्या, भाभी बूआ, चाचा, दादा, दादी राह सभी तकते हैं मिल कर हर मन को भाने वाली है दीवाली आने वाली है चॉकलेट को छोड़ो भाई …

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मैं तो वही खिलौना लूँगा – सियारामशरण गुप्त

मैं तो वही खिलौना लूँगा - सियारामशरण गुप्त

Children do not care about the cost of their toy. If they like a toy, they would like to play with it leaving behind much more expensive ones. Here is a famous poem of Shri Siyaram Saran Gupta that gives this message. Poor Deena’s child is enticed with the golden …

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क्या करूँ अब क्या करूँ – राजीव कृष्ण सक्सेना

क्या करूँ अब क्या करूँ - राजीव कृष्ण सक्सेना

A poem showing what goes on in the mind of a one and a half year old little boy. Rajiv Krishna Saxena क्या करूँ अब क्या करूँ माम को मैं तंग करूँ या डैड से ही जंग करूँ मैं दिन रहे सोता रहूँ फिर रात भर रोता रहूँ पेंट बुक …

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खेल – निदा फ़ाज़ली

खेल – निदा फ़ाज़ली

Irrespective of our races and religions, we all arise from mother earth and dissolve into her. Who arises from the dissolved ingredients of who, no one can say. Here is a wonderful poem saying just that. External attributes that we wear in our life are artificial where in fact we …

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