A nice little poem for children by Uma Kant Malaviya. Rajiv Krishna Saxena मचा तहलका बैठ पेड़ पर मछली सोचे अब क्या होगा राम, नज़ला हुआ मगर मामा को मुझको हुआ जु.काम। छाँय छाँय कर मेढक जी ने छींका क्या दो बार, पोखर भर में मचा तहलका मेढक जी बीमार। …
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