Tag Archives: water

रिम झिम बरस रहा है पानी – राजीव कृष्ण सक्सेना

Oh! The rains finally!

                         रिम झिम बरस रहा है पानी गड़ गड़ गड़ गड़ गरज गरज घन    चम चम चमक बिजुरिया के संग ढम ढम ढम ढम पिटा ढिंढोरा झूम उठा सारा जन जीवन उमड़ घुमड़ कर मेघों नें अब आंधी …

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यह लघु सरिता का बहता जल – गोपाल सिंह नेपाली

Watching a mountain river

Here is an old gem! Many readers requested for this lovely poem depicting the birth and flow of a river – Rajiv Krishna Saxena यह लघु सरिता का बहता जल यह लघु सरिता का बहता जल‚ कितना शीतल‚ कितना निर्मल। हिमगिरि के हिम निकल–निकल‚ यह विमल दूध–सा हिम का जल‚ …

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सद्य स्नाता – प्रतिभा सक्सेना

Fresh bathed

In this poem, Pratibha Saxena gives a magical commentary of dusk turning to night and then into early morning dawn. Imagery is delightful. Enjoy. सद्य स्नाता झकोर–झकोर धोती रही, संवराई संध्या, पश्चिमी घात के लहराते जल में, अपने गौरिक वसन, फैला दिये क्षितिज की अरगनी पर और उत्तर गई गहरे …

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हम सब सुमन एक उपवन के – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

हम सब सुमन एक उपवन के – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

Here is a lovely poem most of us may have read in school days. Unity in diversity is emphasized here. Rajiv Krishna Saxena हम सब सुमन एक उपवन के हम सब सुमन एक उपवन के एक हमारी धरती सबकी, जिसकी मिट्टी में जन्मे हम। मिली एक ही धूप हमें है, सींचे गए …

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बोआई का गीत – धर्मवीर भारती

बोआई का गीत – धर्मवीर भारती

Here again is magic of Bharti Ji. Look at the choice of words and the overall image this poem conjures up. Rajiv Krishna Saxena बोआई का गीत गोरी-गोरी सौंधी धरती-कारे-कारे बीज बदरा पानी दे! क्यारी-क्यारी गूंज उठा संगीत बोने वालो! नई फसल में बोओगे क्या चीज ? बदरा पानी दे! …

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पानी और धूप – सुभद्रा कुमारी चौहान

पानी और धुप – सुभद्रा कुमारी चौहान

Here is a poem written by the famous poetess Subhadra Kumari Chauhan at the time of freedom struggle of India. It depicts the desire of a child to learn the use of sword to ward off policemen who come to arrest the freedom fighter ‘Kaka’. Rajiv Krishna Saxena पानी और …

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जल – किशन सरोज

जल – किशन सरोज

Water is water but how different messages it gives under different conditions… Rajiv Krishna Saxena जल नींद सुख की फिर हमे सोने न देगा यह तुम्हारे नैन में तिरता हुआ जल। छू लिये भीगे कमल, भीगी ऋचाएँ मन हुए गीले, बहीं गीली हवाएँ। बहुत संभव है डुबो दे सृष्टि सारी, …

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बूँद टपकी एक नभ से – भवानी प्रसाद मिश्र

बूँद टपकी एक नभ से - भवानी प्रसाद मिश्र

Here is a lovely poem of Bhavani Prasad Mishra on rains…first few drops from the sky and then heavy showers. You need to read it out loud and slowly and see the magic of the flow of language. Rajiv KrishnaSaxena बूँद टपकी एक नभ से बूँद टपकी एक नभ से, …

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