Here is an old gem! Many readers requested for this lovely poem depicting the birth and flow of a river – Rajiv Krishna Saxena यह लघु सरिता का बहता जल यह लघु सरिता का बहता जल‚ कितना शीतल‚ कितना निर्मल। हिमगिरि के हिम निकल–निकल‚ यह विमल दूध–सा हिम का जल‚ …
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