आया वसंत – सोहनलाल द्विवेदी

Here is a simple poem on spring for children. The scenery described comprising the mustard fields and flowering of mango trees is something that many urban children today would not be familiar with. For old timers, these things arouse nostalgia. Rajiv Krishna Saxena

आया वसंत

आया वसंत आया वसंत
छाई जग में शोभा अनंत

सरसों खेतों में उठी फूल
बौरें आमों में उठीं झूल
बेलों में फूले नये फूल
पल में पतझड़ का हुआ अंत
आया वसंत आया वसंत

ले कर सुगंध बह रही पवन
हरियाली छाई है बन बन
सुंदर लगता है घर आँगन
है आज मधुर सब दिग् दिगंत
आया वसंत आया वसंत

भौंरे गाते हैं नया गान
कोकिला छेड़ती कुहू तान
है सब जीवों के सुखी प्राण
इस सुख का हो अब नहीं अंत
आया वसंत आया वसंत

∼ सोहनलाल द्विवेदी

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