बाढ़ की संभावनाएं सामने हैं - दुष्यंत कुमार

बाढ़ की संभावनाएं सामने हैं – दुष्यंत कुमार

Dushyant Kumar died young at a time when the country was passing through tough times. His frustrations and feelings of hopelessness come through clearly. He is one of the most popular Hindi poet of his times. Here is a well known composition of his. Rajiv Krishna Saxena

बाढ़ की संभावनाएं सामने हैं

बाढ़ की संभावनाएं सामने हैं,
और नदियों के किनारे घर बने हैं।

चीड़-वन में आंधियों की बात मत कर,
इन दरख्तों के बहुत नाज़ुक तने हैं।

इस तरह टूटे हुए चेहरे नहीं हैं,
जिस तरह टूटे हुए ये आइने हैं।

आपके क़ालीन देखेंगे किसी दिन,
इस समय तो पांव कीचड़ में सने हैं।

जिस तरह चाहो बजाओ इस सभा में,
हम नहीं हैं आदमी, हम झुनझुने हैं।

अब तड़पती-सी ग़ज़ल कोई सुनाए,
हमसफ़र ऊंघे हुए हैं, अनमने हैं।

∼ दुष्यंत कुमार

लिंक्स:

 

Check Also

In the midst of noise and extreme disarray, I am the voice of heart

तुमुल कोलाहल कलह में मैं हृदय की बात रे मन – जयशंकर प्रसाद

In times of deep distress and depression, a ray of hope and optimism suddenly emerges …

One comment

  1. samjuti arth vislesan bataiye plz..matlab samjaiye

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *