मन रे तू काहे न धीर धरे – साहिर लुधियानवी

मन रे तू काहे न धीर धरे – साहिर लुधियानवी

Some times, we may be very familiar with a song, yet we may not have ever noticed the meaning of the lyrics. The other day this song was sung by a contest on a popular reality show. I must have heard it many times before but never cared to listen to words and appreciate the meaning. This time I did and found it a very soothing and consoling soft song written by Sahir for the film Chitralekha. Rajiv Krishna Saxena

मन रे तू काहे न धीर धरे

मन रे तू काहे न धीर धरे
वो निर्मोही मोह न जाने
जिनका मोह करे

इस जीवन की चढ़ती गिरती
धूप को किसने बांधा
रंग पे किसने पहरे डाले
रूप को किसने बांधा
काहे ये जतन करे
मन रे तू काहे न धीर धरे

उतना ही उपकार समझ कोई–
जितना साथ निभा दे
जनम मरण का मेल है सपना
यह सपना बिसरा दे
कोई न संग मरे
मन रे तू काहे न धीर धरे

वो निर्मोही मोह न जाने
जिनका मोह करे

∼ साहिर लुधियानवी

लिंक्स:

 

Check Also

In the midst of noise and extreme disarray, I am the voice of heart

तुमुल कोलाहल कलह में मैं हृदय की बात रे मन – जयशंकर प्रसाद

In times of deep distress and depression, a ray of hope and optimism suddenly emerges …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *