कदम मिला कर चलना होगा – अटल बिहारी वाजपेयी

कदम मिला कर चलना होगा – अटल बिहारी वाजपेयी

I met the then Prime Minister Shri Atal Bihari Vajpayee in Feb 2003. I wanted to present him a copy of my book Geeta Kavya Madhuri (a verse to verse translation of all 700 Sanskrit shlokas of Srimad Bhagwat Geeta) and he had promptly given me time. I recall that was the day President Putin of Russia was visiting Delhi yet Atal Ji called me to 7 Race Course Road and spent a good 15 minutes with me looking at my book and encouraging me (see the photograph). I think all this happened because of the fact that Atal Ji is a poet to the core. I have presented many of Atal Ji’s poems on this site. Today  I am adding another of his inspiring poem. Rajiv Krishna Saxena

कदम मिला कर चलना होगा

बाधाएँ आती है आएँ,
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों से हँसते–हँसते,
आग लगा कर जलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

हास्य–रूदन में, तूफानों में,
अमर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना हागा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

उजीयारे में, अंधकार में
कल कछार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत–शत आकर्षक,
अरमानों को दलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

Professor Rajiv K. Saxena presenting the Geeta Kavya Madhuri to the Prime Minister Atal Bihari Vajpeyee (Year 2002)
Prof. RK Saxena presenting Geeta Kavya Madhuri to the Prime Minister Atal Bihari Vajpeyee

 

 

 

 

 

सम्मुख फैला अमर ध्येय पथ,
प्रगति चिरन्तन कैसा इति अथ,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न माँगते,
पावस बनकर ढलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

कुश काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुवन,
पर–हित अर्पित अपना तन–मन,
जीवन को शत–शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

~ अटल बिहारी वाजपेयी

लिंक्स:

 

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