मेरा मिटने का अधिकार- महादेवी वर्मा

Those who strive to tirelessly work for others may perish, but here Mahadevi Verma states that she would rather prefer that suffering than become immortal by the grace of God. Be careful to pause at commas to get the true meanings of lines. Rajiv Krishna Saxena

मेरा मिटने का अधिकार

वे मुस्काते फूल, नही
जिनको आता है मुरझाना,
वे तारों के दीप, नही
जिनको भाता ह बुझ जाना;

वे नीलम के मेघ, नही
जिनको है घुल जाने की चाह
वह अनंत रितुराज, नही
जिसने देखि जाने की राह|

वे सूने से नयन, नही
जिनमें बनते आंसू मोती,
वह प्राणों की सेज, नही
जिनमें बेसुध पीड़ा सोती;

ऐसा तेरा लोक, वेदना
नही, नही जिसमें अवसाद
जलना जाना नही, नही
जिसने जाना मिटने का स्वाद|

क्या अमरों  का लोक मिलेगा
तेरी करुणा का उपहार?
रहने दो हे देव! अरे
यह मेरा मिटने का अधिकार!

~ महादेवी वर्मा

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2 comments

  1. it is a very niece and inspiring poem.

  2. can I get bhavarth of this poem
    plz

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